Śrīkoṣa
Chapter 10

Verse 10.122

योगार्धनयनश्रेष्ठ सांख्ययोगनिधे विभो ।
व्यक्ताव्यक्तकराचिन्त्य क्षेमं पन्थानमास्थित ॥ १२२ ॥