Śrīkoṣa
Chapter 12

Verse 12.389

ओमच्युत जगन्नाथ मन्त्रमूर्ते जनार्दन ।
रक्ष मां पुण्डरीकाक्ष क्षमस्वाज प्रसीद ओम् ॥ ३८९ ॥