Śrīkoṣa
Chapter 14

Verse 14.448

सर्वसम्पत्प्रदां लक्ष्मीं मध्यकुम्भेषु तद्बहि ।
अष्टास पुष्टि तद्बाह्य कान्ति षोडशके द्विज ॥ ४४९ ॥