Śrīkoṣa
Chapter 16

Verse 16.454

ओमच्युतक्ष जगन्नाथ मन्त्रमूर्ते जनार्दन ।
रक्ष मां पुण्डरीकाक्ष क्षमस्वाज प्रसीद ओम् ॥ ४५४ ॥