Śrīkoṣa
Chapter 5

Verse 5.58

स्वपाणिसंपुटेनैव शोभयन् स्वान्तभूस्थलम् ।
सितारविन्दशङ्खाक्षसूत्रचक्रकरान्वितम् ॥ ५८ ॥