Śrīkoṣa
Chapter 17

Verse 17.174

प्रदद्यात् पुण्डरीकायएयैभिर्युक्ताय वै बलिम् ।
निष्कृतिः प्रकृतिश्चैव सुकृतिर्विकृतिस्तथा ॥ १७४ ॥