Śrīkoṣa
Chapter 6

Verse 6.218

स्फुरता ब्रह्मसूत्रेण काञ्चनेन सुशोभितम् ।
द्युतिमद्भिर्महारत्नै राजितेन सुवर्चसा ॥ २२० ॥